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सोमवार, 29 मार्च 2010

नेपाल के लिए चीन और भारत बराबर

prachandकाठमांडू। नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्नी पुष्पकमल दहल प्रचंड ने भारत में जारी माओवादी गतिविधियों से नेपाली माओवादियों के तार जुड़े होने की आशंकाओं को निमरूल करार देते हुए आज कहा कि मित्न देश भारत में इसे लेकर भ्रामक प्रचार किया जा रहा है।



प्रचंड ने यहां योग गुरू स्वामी रामदेव के योग विज्ञान शिविर में योग साधाव रूप में भाग लेने के बाद भारत से आए पत्नकारों से कहा कि नेपाली माओवादियों के तार भारत में जारी माओवादी गतिविधियों से जुड़े होने की आशंकाएं निमरूल हैं। दोनों देशों के माओवादियों में संगठनात्मक और संरचनात्मक अंतर है।



नेपाली व म्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) (यूएनसीपीएम) अधयक्ष ने कहा, हमारे लिए नेपाल की जनता के हित सर्वोपरि हैं और भारत के साथा पारस्परिक संबंधों में प्रगाढता लाना हमारा मुख्य ध्येय है। हालांकि एक प्रश्न के उत्तर में प्रचंड ने कहा कि नेपाल के लिए चीन का महत्व कम नहीं है। उनकी नजर में नेपाल का संबंध भारत और चीन के साथा बराबर का होना चाहिए।



तमाम बाधाओं के कारण संविधान निर्माण का काम निर्धारित अवधि में पूरा नहीं हो पाने की खबरों के बारे में जब उनसे पूछा गया तो उन्होंने कहा, संविधान बनाने का काम समय पर समाप्त करने की पूरी कोशिश की जा रही है और मुझे उम्मीद है कि यह काम समय पर पूरा हो जाएगा।



योग साधाना के महत्व पर प्रकाश डालते हुए यूएनसीपीएम अध्यक्ष ने कहा कि नेपाल में साम्यवाद और योग विज्ञान के संयुक्त प्रयास से शांति एवं भौतिक और दैहिक खुशहाली लाने का प्रयास किया जाएगा। उन्होंने कहा कि अपने जल संसाधानों का इस्तेमाल कर नेपाल बिजली उत्पादन के क्षेत्न में उचित मुकाम हासिल कर सकता है और पड़ोसी देश भारत को भी बिजली की आपूर्ति कर सकता है। इस बारे में उन्होंने प्रधानमंत्नी के रूप में भारत के राजकीय दौरे पर वहां की सरकार से विचार विमर्श किया था।



इससे पहले प्रचंड ने दीप प्रज्वलित करके आज के शिविर की शुरूआत की । इस अवसर पर उन्होंने योग और आयुर्वेद के महत्व पर प्रकाश डालते हुए अपने अनुभव बांटे। यूएनसीपीएम अधयक्ष के अनुसार, उन्होंने अपने जीवन में भी योग और आयुर्वेद का महत्व महसूस किया है।



इससे पहले स्वामी रामदेव ने भी कहा कि माओवाद और योग-विज्ञान एवं अधयात्म के योग से नेपाल में शांति एवं समृद्धि का इतिहास रचा जाएगा। उन्होने कहा कि नेपाल यदि अपनी जवानी, जंगल, जड़ी-बूटियों एवं अन्य
प्राकृतिव संसाधानों का उचित इस्तेमाल करे तो वह समृद्ध राष्ट्र बनकर उभरेगा। उन्होने कहा कि केवल जल स्रोतों का इस्तेमाल करके ही नेपाल की अर्थाव्यवस्था विकसित हो सकती है।

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